सागर मध्यप्रदेश की जामा मस्जिद एक नायाब ऐतिहासिक इमारत

सागर के मुख्य व्यव्सायिक केंद्र और हृदय स्थल कटरा बाजार के बीचों-बीच स्थित जामा मस्जिद एक नायाब ऐतिहासिक विरासत श्रृद्धा और ख़ुबसूरती का संगम है।



मस्जिद की तामीर ईस्वी सन 1801में तत्कालीन मराठा सेना में शामिल सेनापति जनाब मुंशी ख़ुदा बक्श सा. ने करवाई थी। सन 1860-61के बंदोबस्त के मुताबिक ख. नं 2029 पर निर्मित इस मस्जिद का रकबा 10976वर्ग फुट है।


मराठा शासकों ने अपनी फौज़ में कार्यरत मुस्लिम फौजियों को इबादतगाह बनाने निशुल्क ज़मीन देने की पेशकश की थी जिसे मुंशी ख़ुदा बक्श ने विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया तथा उस समय की कीमत के अनुसार नज़राना सरकारी ख़ज़ाने में जमा करके जमीन हासिल करना स्वीकार किया। अनेक दस्तावेजों में महिला मराठा शासिका लक्ष्मी बाई का उल्लेख मिलता है। उस समय तक कटरा क्षेत्र एक वीरान और दलदली इलाका था जहां मौसमी फल व सब्ज़ी की खेती होती थी। कटरा इलाका सागर तालाब की सतह से नीचे होने से तथा भूमि गत पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के कारण यह सागर का मुख्य व्यापारिक केंद्र और आवासीय के क्षेत्र के रूप में तेज़ी से विकसित हुआ। मराठा शासन काल में राजकाज और शासन प्रंबध का काम लक्ष्मीपुरा से संचालित होता था तथा व्यापार का केंद्र बड़ा बाजार था जो धीरे धीरे जरुरत और वक्त के साथ कटरा की तरफ आता चला गया।


इतिहासकार श्री बी. के. श्रीवास्तव के अनुसार भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1‌जुलाई 1857 को 42 वीं देशी पल्टन के सूबेदार श्री शैख़ रमज़ान ने जामा मस्जिद के सदर ( मुख़्य) दरवाजे पर नगाड़ा बजाकर लोगों के बीच क्रांति की घोषणा और अंग्रेजी सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध का ऐलान किया.


स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार श्री अब्दुल ग़नी के अनुसार 1947 में आज़ादी के बाद भारत पाकिस्तान के विभाजन के दौरान साम्प्रदायिक दंगों हिंसा,पलायन‌ की परिस्थितियों के चलते जामा मस्जिद में 19 दिन तक नमाज़ और अज़ान नहीं हो सकी थी।


जामा मस्जिद के चारों कौनों पर चार कुओं का निर्माण किया गया था जो सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए जनता के उपयोग में आते थे इन कुओं के कारण इस इमारत की ख़ूबसूरती में का़फी इज़ाफ़ा हुआ।


इस मस्जिद की एक विशेषता ये भी है कि केन्द्र में मस्जिद की इमारत है और उत्तर दक्षिण पूर्व और पश्चिम में समान दूरी पर दो दो रास्ते शहर की अन्य बस्तियों की ओर जाते है ।


1नमक मंडी से शुक्रवारी और परकोटा की ओर।


2 पश्चिम में राहतगढ़ स्टैंड और बड़ा बाजार की ओर।


3 उत्तर में कटरा से तीन बत्ती से बड़ा बाजार और परकोटा की ओर।


4 दक्षिण में गुजराती बाज़ार‌ की ओर से सदर एवं माल गोदाम की ओर।


विशेष -श्री रजनीश जैन पत्रकार जिनके द्वारा दी एक जानकारी और सागर के प्रसिद्ध चित्रकार श्री असरार अहमद के बनाये जामा मस्जिद के चित्र ने मुझे यह सब लिखने के लिए प्रेरित किया दोनों का शुक्रिया । 


Saleem Khan