गांधी 150
गांधी के आत्मबल की दाद दुनिया को देनी पड़ी थी। उनकी मृत्यु पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना झंडा झुकाया था।
सन् 1931 में लंदन की सड़कों पर कड़कड़ाती सर्दी....में अपने जर्जर शरीर को अपने हाथों से काते गये सूत से बनी खादी से ढके.... पैरों में मामूली चप्पल पहने...अदम्य साहस और उत्साह से भरा हुआ...अपने द्वारा गढ़े गये सिद्धांतों को अपने आचरण में जीता हुआ...
अजानबाहु अपने चिरपरिचित लंबे कदम भरते हुए...
साथ में अंग्रेजी ड्रेस में ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्वागताध्यक्ष के रूप में कदमताल मिलाते हुए।
#भारत_के_संवैधानिक_सुधारों के संदर्भ में होने वाली उस कान्फ्रेस में हिस्सा लेने के लिए बढ़ा चला जा रहा है...
हो सके तो इस #तस्वीर पर दो पल ठहर कर सोंचियेगा... और गर्व महसूस कीजिएगा...आप उस देश में निवास करते हैं... जहां #मन_मोहन_दास_करमचंद_गांधी पैदा हुए थे... याद रखियेगा गांधी मरते नहीं अमर होते...
गांधी एक विचारधारा का नाम है
और विचारधारा कभी मरती नहीं गोडसे से तो गलियाँ आज भी बजबजा रही हैं।
वायसराय लार्ड माउन्ट बेटन ने
गांधी जी की हत्या पर कहा था, -- "ब्रिटिश हुकुमत अपने काल पर्यन्त कलंक से बच गई , आपकी हत्या आपके देश, आपके राज्य,आपके लोगों ने की है । यदि इतिहास आपका निष्पक्ष मूल्यांकन कर सका, तो वो आपको ईसा और बुद्ध की कोटि में रखेगा । कोई कौम इतनी कृतघ्न और खुदगर्ज कैसे हो सकती है जो अपने पिता तुल्य मार्गदर्शक की छाती छलनी कर
दे । ये तो नृशंस बर्बर नरभक्षी कबीलों मेंभी नहीं होता है, और उस पर निर्लज्जता ये
कि हमें इस कृत्य का अफसोस तक नहीं है ।"
#इतिहास_के_किस्से
#गाँधी_दर्शन
नीरज मिश्रा