#अरहर_दाल

अरहर की दाल का तीखा पीला कलर एक बहुत ही नुकसान दायक रसायन जिसका नाम Metanil Yellow है और इसका रासायनिक सूत्र C18H15N3NaO3S है, इसको Acid yellow 36 भी कहते हैं।


अरहर की दाल भारत में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली दाल है इसीलिए दालों की महारानी भी कहते हैं।


अरहर की दाल में आयरन, फोलिक ऐसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम विटामिन बी और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।शाकाहारी लोगों के लिए ये प्रोटीन का शुलभ-सस्ता साधन है।



आम बोलचाल में शहरी बच्चे इसको पीली वाली दाल भी कहते हैं,लेकिन मजे की बात ये है कि अरहर की दाल का प्रकृति रंग पीला नहीं होता है, कम से कम वैसा पीला तो बिल्कुल नहीं जैसा बाजार में बिकने वाली अरहर की दालों का तीखा पीला होता है।


अरहर की दाल का तीखा पीला कलर एक बहुत ही नुकसान दायक रसायन जिसका नाम Metanil Yellow है और इसका रासायनिक सूत्र C18H15N3NaO3S है, इसको Acid yellow 36 भी कहते हैं।


यह एक अखाद्य रासायनिक कलर है जो neurotoxic और hepatotoxic होता है, जिसके हमारे शरीर में जाने से हमारे तंत्रिका तंत्र,मस्तिष्क और लीवर को गम्भीर नुकसान होता है, इसी के यह रसायन कैंसर का भी कारक है।


शायद इसीलिए वो लोग जो इस तरह से रंगी गई दालों का प्रयोग करते हैं, उनको अक्सर पेट सम्बन्धी समस्याएं होती हैं, एक आम धारणा बनती जा रही है कि अरहर की दाल खाने से पेट खराब हो जाता है, जबकि हम लोग पीढ़ी दर पीढ़ी अरहर खाते आ रहे हैं हमको कभी भी इस तरह की समस्या नहीं हुई है।


ज्यादा बेहतर यह है कि घर पर ही अरहर को दतला से दर के दाल तैयार की जाए, या अब तो इसके लिए मशीन भी आने लगी हैं। जब आप इसको घर पर ही तैयार करेंगे तो देखेंगे कि इसका कलर चटख पीला होने की बजाय मटमैला होता है,यही इसका प्रकृतिक कलर है, इसी के साथ इसके छिलकों को भी खाने में शामिल किया, अरहर का फाइबर ह्रदय रोगों के लिए बहुत लाभदायक है, और दाल का स्वाद भी बढ़ाता है।


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